लेखनी कहानी -06-Oct-2022महापुरुषों- महानायकों को नमन भाग १ अटल अटल बिहारी वाजपेई२- सीडीएस विपिन रावत
स्वामी विवेकानन्द
बारह जनवरी 1863 जन्मे इसी पावन धरा पर
भूमि कलकत्ता की थी नाम रखा गया नरेंद्र नाथ,
रामकृष्ण परमहंस गुरू का पाया था सानिध्य
मिली शिक्षा तब नाम पड़ा था स्वामी विवेकानंद।
ओजस्वी वाणी में बोले कुछ मधुर मृदुल सुवचन
सुदृढ़ सिद्धांत आत्मसात किए दुर्वचनों का शमन
पहले बोले बनो निर्भय और फिर आत्म विश्वासी
और करो बोले हुए निज-निज शब्दों पर विश्वास।
पहली बार सुना जब सबने भाई बहन का संबोधन
अमरीका की धर्म सभा में महक उठे सबके तन मन,
मन दुर्बलता दूर भगाएं इंसानियत का निभाएं धर्म
थमीं नहीं तालियां देर तक सुनकर यही सर्व प्रथम।
स्वामी की प्रतिभा और मेधा का लोहा सबने माना
उठो जागो कभी ना रूकने का सूत्र सभी ने जाना,
तन मन से चट्टान बनो मन में संवेदना जगाओ
भारत मां का लाल कहे संस्कृति का ध्वज लहराना।
सभी शक्तियां बनी तुम्हारी जो ब्रह्मांड बसी है
आंखों पर हाथ रख कहते बहुत अंधकार यहीं है,
सत्य हजार तरह से बोलो तब भी सत्य कहाए
कहा स्वामी ने जग योगशाला खुद को मजबूत बनाए।
अंदर बाहर स्वभाव एक सा मदद करो सभी की
विधवाओं के आंसू पोंछे सेवा करो दीन दुखी की,
कहती 'अलका' मैंने सीखा उनके आदर्शों से जीवन में
आत्मसात करो ये विचार यही लक्ष्य पाने के तरीके।
अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
30-Oct-2022 08:00 PM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Supriya Pathak
11-Oct-2022 06:40 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Suryansh
10-Oct-2022 05:29 PM
It's outstanding speechless beyond the thoughts
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